सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग और थाईलैंड सहित दुनिया के कई हिस्सों में एक बार फिर कोरोनावायरस के मामलों में तेजी देखी जा रही है। इन देशों में संक्रमण के मामलों के साथ-साथ अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या भी बढ़ रही है, जो संक्रमण के गंभीर लक्षणों की ओर संकेत करता है। भारत में भी स्थिति चिंताजनक होती जा रही है—केरल और महाराष्ट्र सहित देशभर में 257 से अधिक सक्रिय मामले सामने आए हैं, जबकि मुंबई में कोविड से दो मौतें दर्ज की गई हैं। विशेषज्ञों ने सतर्क रहने की सलाह दी है और आशंका जताई है कि आने वाले तीन सप्ताह और भी अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।
कोविड का नया वेरिएंट और ताज़ा हालात
सिंगापुर, थाईलैंड और हांगकांग में हालिया जांच रिपोर्ट्स से पता चला है कि इस बार संक्रमण के पीछे ओमिक्रोन का सब-वेरिएंट JN.1 जिम्मेदार है। यह वेरिएंट एशियाई देशों में हल्के से लेकर गंभीर लक्षणों तक का कारण बन रहा है।अप्रैल के अंतिम सप्ताह और मई के पहले सप्ताह के बीच कोविड संक्रमण के मामलों की संख्या 14,000 के पार पहुंच चुकी है। सबसे अधिक प्रभावित देश सिंगापुर और हांगकांग हैं, जहां स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दी गई है। इसके अलावा, जापान में भी SARS-CoV-2 के मामलों में तेज़ बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।
भारत में कोविड के सक्रिय मामले (Active Coronavirus Cases in India)
कोविड-19 का प्रसार एक बार फिर उसी ढंग से हो रहा है, जैसा कि 2019 के अंत से लेकर मार्च-अप्रैल 2020 के बीच देखने को मिला था। भारत के वे बड़े शहर जो अंतरराष्ट्रीय यात्राओं से सीधे जुड़े हैं, वहां संक्रमण के सक्रिय मामलों में सबसे अधिक वृद्धि देखी जा रही है। विशेष रूप से केरल और मुंबई में ओमिक्रोन के सब-वेरिएंट JN.1 से संक्रमित मरीजों की संख्या में तेज़ बढ़ोतरी दर्ज की गई है।क्या इस वेरिएंट से घबराने की ज़रूरत है?
कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों और मुंबई में हुई दो मौतों के बाद लोगों के बीच चिंता का माहौल है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी स्थिति को गंभीर मानते हुए तुरंत सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। इसी संदर्भ में हमने बातचीत की डॉ. मनीषा मेंदीरत्ता से, जो सर्वोदय अस्पताल, फरीदाबाद में एसोसिएट डायरेक्टर एवं प्रमुख - पल्मोनोलॉजी विभाग हैं।डॉ. मनीषा बताती हैं: “एशिया के कई देशों में कोविड-19 के मामलों में स्पष्ट वृद्धि देखी जा रही है, जिससे स्वास्थ्य प्रशासन की चिंता बढ़ गई है। वायरस के बदलते वेरिएंट और लोगों में घटती रोग प्रतिरोधक क्षमता इस लहर को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके अलावा, लोगों की बढ़ती आवाजाही और स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही भी संक्रमण को फैलने का मौका दे रही है।”
ओमिक्रोन का नया सब-वेरिएंट JN.1 बन रहा है संक्रमण का कारण - डॉ. मनीषा मेंदीरत्ता बताती हैं, “ओमिक्रोन स्ट्रेन का नया सब-वेरिएंट JN.1 मौजूदा स्वास्थ्य जोखिमों के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। यह वेरिएंट अत्यधिक संक्रामक है और पहले की तुलना में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को अधिक प्रभावी ढंग से चकमा देने में सक्षम है।”
वह आगे कहती हैं, “हालांकि यह वेरिएंट अधिक घातक नहीं है, लेकिन इसकी तेजी से फैलने की क्षमता के कारण कुल मामलों की संख्या में तेज़ वृद्धि हो रही है। अच्छी बात यह है कि जिन लोगों को टीका लग चुका है, उनमें सामान्यतः हल्के लक्षण ही देखे जा रहे हैं।
बचाव में सहायक हो सकता है बूस्टर डोज़
डॉ. मनीषा मेंदीरत्ता बताती हैं, “समय के साथ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने लगती है। यही कारण है कि कई देशों में लोगों को बूस्टर डोज़ लेने की सिफारिश की गई है। एशिया के अधिकांश लोगों ने अपनी आखिरी वैक्सीन खुराक एक वर्ष या उससे भी पहले ली थी। समय पर बूस्टर न लेने से प्रतिरक्षा कमजोर हो जाती है, जिससे बुज़ुर्गों और पहले से बीमार लोगों में संक्रमण का खतरा कहीं अधिक बढ़ जाता है।”महामारी के दौरान लागू किए गए नियमों में ढील दिए जाने से स्थिति और अधिक जटिल हो गई है। लोग अब सामान्य जीवनशैली में लौट आए हैं और मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना, तथा स्वच्छता जैसे एहतियाती उपाय काफी हद तक नजरअंदाज किए जा रहे हैं। वहीं, सार्वजनिक आयोजनों और अंतरराष्ट्रीय यात्रा की बहाली ने वायरस के प्रसार को और अधिक बढ़ावा दिया है।
अगले तीन सप्ताह बेहद संवेदनशील
विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा लहर को गंभीरता से लेना बेहद जरूरी है। यदि अभी से सतर्कता नहीं बरती गई, तो आने वाले तीन सप्ताह में मामलों में और तेज़ वृद्धि हो सकती है। वायरस में किसी भी संभावित नए म्यूटेशन का समय रहते पता लगाने के लिए सक्रिय निगरानी बनाए रखना फायदेमंद रहेगा। साथ ही, सतर्कता और जिम्मेदार व्यवहार अपनाकर ही इस संक्रमण की गति को नियंत्रित किया जा सकता है।इस बार मौसमी कारक भी संक्रमण के फैलाव में अहम भूमिका निभा रहे हैं। ठंड या गर्मी के चलते अधिकांश लोग घर के अंदर समय बिता रहे हैं, जहां वेंटिलेशन की कमी के कारण वायरस के प्रसार का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही, अब कोविड टेस्टिंग की दर पहले की तुलना में काफी घट गई है, जिससे संक्रमितों की वास्तविक संख्या का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक मामले रिपोर्ट की गई संख्या से कहीं अधिक हो सकते हैं।
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