गर्मियों का मौसम अपने साथ कई स्वास्थ्य समस्याएं लेकर आता है, जिनमें सबसे खतरनाक है हीट स्ट्रोक। यह एक ऐसी स्थिति है जो तब होती है जब शरीर बहुत अधिक गर्मी के संपर्क में आता है और खुद को ठंडा नहीं रख पाता। समय पर इलाज ना होने पर यह जानलेवा भी हो सकता है। इसलिए इस लेख में हम हीट स्ट्रोक क्या है, इसके लक्षण, कारण, उपचार और इससे बचाव के आसान उपायों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
हीट स्ट्रोक क्या है? (What is Heat Stroke)
हीट स्ट्रोक (Heatstroke), जिसे लू या सनस्ट्रोक (Sunstroke) भी कहा जाता है, एक गंभीर चिकित्सीय आपात स्थिति होती है जिसमें शरीर का तापमान 104°F (40°C) या उससे अधिक हो जाता है। यह तब होता है जब शरीर की तापमान नियंत्रित करने की प्रणाली विफल हो जाती है। अगर समय रहते इसका इलाज ना किया जाए तो यह मस्तिष्क, हृदय, किडनी और मांसपेशियों को नुकसान पहुँचा सकता है।
हीट स्ट्रोक के प्रकार (Types of Heat Stroke)
हीट स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं - क्लासिक हीट स्ट्रोक और एक्सर्शनल हीट स्ट्रोक।
- क्लासिक हीट स्ट्रोक: अधिकतर बुजुर्गों, बच्चों या लंबे समय तक गर्म वातावरण में रहने वालों को होता है।
- एक्सर्शनल हीट स्ट्रोक: उन लोगों को होता है जो गर्मी में अधिक शारीरिक मेहनत करते हैं, जैसे मजदूर, खिलाड़ी या सेना के जवान।
हीट स्ट्रोक के लक्षण (Symptoms of Heat Stroke)
हीट स्ट्रोक या लू के कई प्रमुख लक्षण होते हैं जिन्हें पहचान कर तुरंत इलाज करवाना ज़रूरी है। मरीज़ को तेज बुखार हो सकता है, शरीर गर्म और सूखा महसूस हो सकता है क्योंकि पसीना नहीं आता। सिर दर्द, चक्कर आना, उल्टी आना, भ्रम की स्थिति या बेहोशी जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। त्वचा लाल और गर्म हो जाती है, और सांस तेज चल सकती है।
हीट थकावट और हीट स्ट्रोक के बीच अंतर
हीट थकावट हीट स्ट्रोक से कम गंभीर होती है, लेकिन अगर इसे नज़रअंदाज़ किया जाए तो यह हीट स्ट्रोक में बदल सकती है। हीट थकावट में मरीज़ को अधिक पसीना आता है, कमजोरी, चक्कर आना, मतली और सिर दर्द होता है, लेकिन शरीर का तापमान हीट स्ट्रोक की तरह बहुत अधिक नहीं होता और पसीना आना बंद नहीं होता।
हीट स्ट्रोक विकसित होने के जोखिम कारक क्या हैं?
कुछ लोग हीट स्ट्रोक के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। जैसे कि बुजुर्ग, छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं, मोटे लोग और वे जो पहले से किसी बीमारी से पीड़ित हैं। इसके अलावा, जो लोग गर्मी में अधिक काम करते हैं या ऐसे कपड़े पहनते हैं जो शरीर को ठंडा नहीं रहने देते, उन्हें भी इसका खतरा ज्यादा होता है।
क्या हीट स्ट्रोक को रोका जा सकता है? (Can Heat Stroke be prevented?)
हीट स्ट्रोक को पूरी तरह से रोका जा सकता है अगर हम सही समय पर सावधानियाँ बरतें। शरीर को ठंडा और हाइड्रेटेड रखना सबसे महत्वपूर्ण है। तेज धूप में बाहर ना निकलें, अगर निकलना पड़े तो छाता, टोपी या हल्के रंग के ढीले कपड़े पहनें। खूब पानी पिएं और कैफीन या शराब से दूर रहें।
हीट स्ट्रोक से पीड़ित लोगों के लिए क्या स्थिति है?
अगर समय पर इलाज हो जाए तो हीट स्ट्रोक से पूरी तरह से ठीक हुआ जा सकता है, लेकिन देर हो जाने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है। कई मामलों में इससे मस्तिष्क और अन्य अंगों को स्थायी नुकसान भी हो सकता है। इसलिए लक्षण दिखते ही डॉक्टर के पास जाना जरूरी है।
हीट स्ट्रोक को रोकने के उपाय (Tips to prevent Heat Stroke)
गर्मी के मौसम में कुछ आसान उपाय अपनाकर हीट स्ट्रोक से बचा जा सकता है। जैसे – सुबह या शाम को ही बाहर निकलें, दिन के सबसे गर्म समय में आराम करें। अधिक से अधिक पानी और फलों का रस पिएं। हल्का और पौष्टिक भोजन करें। छोटे बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें और उन्हें धूप में न जाने दें।
हीट स्ट्रोक के लिए प्राथमिक उपचार (First aid for Heat Stroke)
अगर किसी को हीट स्ट्रोक हो जाए तो उसे तुरंत ठंडी जगह ले जाएं। उसके कपड़े ढीले कर दें और शरीर को ठंडे पानी से पोंछें या बर्फ की पट्टियां रखें। पंखा चलाएं या एयर कंडीशनर का इस्तेमाल करें ताकि शरीर का तापमान जल्दी से कम किया जा सके। जब तक डॉक्टर न पहुंचे तब तक उसे ठंडा रखने की कोशिश करें और होश में आने पर पानी या इलेक्ट्रोलाइट्स दें।
हीट स्ट्रोक एक गंभीर स्थिति है, लेकिन थोड़ी सी सावधानी और समय पर उपचार से इसे रोका जा सकता है। अगर आपको या आपके किसी परिचित को इसके लक्षण दिखें तो इसे नज़रअंदाज़ ना करें। ऐसे में तुरंत सर्वोदय हॉस्पिटल, सेक्टर 8, फरीदाबाद के वरिष्ठ अनुभवी डॉक्टर्स से संपर्क करें, जो हीट स्ट्रोक जैसी आपातकालीन स्थितियों में प्रभावी और समर्पित इलाज प्रदान करते हैं। यहाँ मरीजों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं और व्यक्तिगत देखभाल दी जाती है।
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