बरसात का मौसम जहाँ ताजगी और ठंडक लेकर आता है, वहीं यह कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ा देता है। पानी का ठहराव, नमी और मच्छरों की तेज़ी से वृद्धि ऐसे हालात पैदा करते हैं, जिससे डेंगू सबसे आम और खतरनाक बीमारियों में से एक बन जाता है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे, डेंगू कैसे होता है (How Dengue Happens), डेंगू के लक्षण क्या हैं (Symptoms of Dengue), और सबसे महत्वपूर्ण – डेंगू से बचने के उपाय (Ways to Prevent Dengue)
डेंगू क्या है?
डेंगू एक वायरल बीमारी है, जो एडीस एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलती है। यह मच्छर दिन के समय काटता है और ख़ासकर ठहरे हुए साफ़ पानी में पनपता है। बारिश के मौसम के बाद जब जगह-जगह पानी भर जाता है, तो इन मच्छरों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है।
डेंगू कैसे होता है (How Dengue Happens) इसे समझना आसान है, यदि मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो उसके खून से वायरस लेकर वह अगले स्वस्थ व्यक्ति में पहुँचा देता है। इस तरह यह बीमारी तेज़ी से फैलती है।
डेंगू के लक्षण क्या हैं?
बरसात के मौसम में बुखार होना आम है, लेकिन हर बुखार डेंगू नहीं होता। इसलिए डेंगू के लक्षण (Symptoms of Dengue) पहचानना बहुत ज़रूरी है ताकि सही समय पर इलाज शुरू किया जा सके।
सामान्य डेंगू के लक्षण इस प्रकार हैं:
- अचानक तेज़ बुखार आना
- तेज़ सिरदर्द और आँखों के पीछे दर्द
- मांसपेशियों और जोड़ों में असहनीय दर्द (इसीलिए इसे "ब्रेकबोन फीवर" भी कहते हैं)
- त्वचा पर लाल चकत्ते या रैशेज़
- मतली और उल्टी
- भूख में कमी और कमजोरी
कई मामलों में बीमारी गंभीर भी हो सकती है।
ऐसे में निम्नलिखित लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए:
- नाक या मसूड़ों से खून आना
- प्लेटलेट्स की संख्या में तेज़ी से गिरावट
- अत्यधिक थकान, चक्कर या बेहोशी
अगर आपको या आपके किसी परिचित को ये लक्षण महसूस हों तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।
डेंगू और वायरल फीवर में अंतर
बरसात के मौसम में लोग अक्सर ये समझ नहीं पाते कि उन्हें डेंगू है या वायरल फीवर। दोनों में बुखार, कमजोरी और सिरदर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं, लेकिन कुछ बातें इन्हें अलग करती हैं।
वायरल फीवर में आमतौर पर हल्का से मध्यम बुखार होता है, जो 2–3 दिनों में अपने आप कम हो जाता है। इसमें प्लेटलेट्स पर खास असर नहीं पड़ता।
वहीं, डेंगू में तेज़ बुखार लगातार बना रहता है और साथ ही शरीर में तेज़ दर्द, लाल दाने और प्लेटलेट्स का गिरना जैसे लक्षण नज़र आते हैं।
इसलिए अगर बुखार के साथ-साथ जोड़ों में दर्द, लाल चकत्ते और प्लेटलेट्स की कमी जैसे लक्षण दिखें तो समझ लीजिए कि यह सामान्य वायरल नहीं बल्कि डेंगू हो सकता है।
बारिश के बाद डेंगू से बचाव: 5 आसान उपाय
बरसात के मौसम में डेंगू से बचने के उपाय (Ways to Prevent Dengue) अपनाना बेहद ज़रूरी है। थोड़ी-सी सावधानी बरतकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।
आइए जानते हैं पाँच आसान तरीके:
- पानी जमा ना होने दें: घर या आसपास कहीं भी पानी इकट्ठा ना होने दें। कूलर, गमले, टंकी और बोतलों का पानी नियमित रूप से बदलें।
- मच्छरदानी और रिपेलेंट का उपयोग करें: रात को सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें और दिन में मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे लगाए
- पूरे कपड़े पहनें: बरसात के दिनों में फुल स्लीव कपड़े और पैंट पहनें ताकि मच्छर के काटने की संभावना कम हो।
- घर और आसपास सफ़ाई रखें: कचरे के ढेर, पुराने टायर या टूटे बर्तनों में पानी जमा हो सकता है। इन्हें हटाना ज़रूरी है ताकि मच्छर ना पनपें।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएँ: विटामिन-सी युक्त फल, हरी सब्ज़ियाँ और पौष्टिक आहार खाएँ। यह शरीर को मजबूत बनाता है और संक्रमण से बचाता है।
डेंगू से शरीर में क्या होता है?
डेंगू सिर्फ बुखार तक सीमित नहीं रहता, बल्कि शरीर के अंदर गंभीर बदलाव ला सकता है:
- सबसे पहले प्लेटलेट्स की संख्या तेज़ी से गिरती है, जिससे खून जमने की क्षमता कम हो जाती है।
- शरीर में कमजोरी और थकान बहुत अधिक हो जाती है।
- गंभीर मामलों में रक्तस्राव और शॉक तक की स्थिति बन सकती है।
डेंगू में सबसे अधिक प्रभावित अंग (Affected Organs in Dengue) लिवर और बोन मैरो होते हैं। लिवर पर असर पड़ने से पाचन गड़बड़ा जाता है और बोन मैरो पर असर पड़ने से नई प्लेटलेट्स बनने की क्षमता घट जाती है।
इसीलिए डॉक्टर बार-बार खून की जाँच करवाने की सलाह देते हैं। प्लेटलेट्स की गिनती पर नज़र रखना और सही समय पर इलाज शुरू करना जीवन रक्षक हो सकता है।
निष्कर्ष
बरसात के मौसम के बाद डेंगू का खतरा तेज़ी से बढ़ता है, लेकिन अगर हम समय रहते सतर्क रहें और डेंगू से बचाव (Dengue Prevention) के उपाय अपनाएँ तो इस बीमारी से सुरक्षित रहा जा सकता है।
सर्वोदय अस्पताल फरीदाबाद में डेंगू के लिए आधुनिक उपचार और जनरल फिजिशियन (General physician in Faridabad) प्रदान करता है। यहाँ न केवल डेंगू के मरीजों का संपूर्ण उपचार किया जाता है, बल्कि रोकथाम के लिए निवारक परामर्श भी दिया जाता है। यह परामर्श आपको और आपके परिवार को सुरक्षित रखने और समय पर सही कदम उठाने में मदद करता है।